Friday 21 March 2014

Chaar dino ka faasla...


चार दिनों का फासला नाप लिया हैं मैंने,
गर्मी के इस सूरज को ताप लिया हैं मैने… 

चार दिनों का फासला नाप लिया हैं मैंने,
गर्मी के इस सूरज को ताप लिया हैं मैने। 
मैंने तुमसे वफ़ाएं की हैं और तुमसे किया हैं प्यार,
मैंने तुमसे बलाये ली हैं,की तुमसे निगाहें चार। 



मैं खोने लगा हूँ … 
मैं खोने लगा हूँ,बाहों में तेरी सोने लगा हूँ । 
शैतानी भी रग रग में अपने बसाने लगा हूँ । 


सुन सुन आहट भरी ये बातें,
और राहत बगैर रातें … 
अरे … 
आहट भरी ये बातें और राहत बगैर रातें,
टिप टिप के जो आती,वो बदरी वो बरसातें । 

तुम  चले हो उसमें भीगते ,मैं हूँ भीगी झंकार । 
जो मैं  हवा बन जाऊँ  तो तुम  पंछी पंख पसार। 

मैं उड़ने लगा  हूँ … 
मैं उड़ने लगा  हूँ,बाहों में तेरी जुड़ने लगा  हूँ । 
मनमानी की राहों से अब मैं मुड़ने लगा  हूँ । 


टक टक देखें हैं वो परियाँ ,
वो तारागण कि तरियाँ… 
अरे … 
देखें हैं वो परियाँ ,वो तारागण कि तरियाँ,
वो मुझमें घुसा हैं डाले,लोहे कि सरिया । 

मैं रंगूँ उसमें लाल लाल,ज़रा दर्द तो तू भी उभार । 
मैं काटा तब ले जाऊंगी ,जब चाहों  फूलों का भण्डार । 


मैं रंगने लगा हूँ  … 
मैं रंगने लगा हूँ,तेरे खून- ऐ -लाल में मरने  लगा हूँ । 
बर्बादी के डर से मैं तो अब डरने लगा हूँ । 

जल जल अंगारों का कोयला ,
आके मुझसे मिलना … 
अरे … 
अंगारों का कोयला,आके मुझसे मिलना । 
जो मैं कलियाँ बन जाऊँ तो तुम फूलों का हो खिलना । 

मैं अपना बदन छिपाऊँगी जब हम दो करेंगे प्यार । 
मैं नौकर तब बन जाऊँगी जब तुम बोलो सरकार । 


मैं लिखने लगा हूँ  … 
मैं लिखने लगा हूँ,दिल में तेरे टिकने लगा हूँ । 
नादानी भरे धड़कन से मैं लिपटने लगा हूँ । 




Thursday 26 September 2013

sindoori...rang ke sahaare...


aaja seekhe ,
dil ko sambhaalna hum...
aaja feeke,
rangon ko rang denge hum...
aaja teekhe,
tevaron ko chhat ke ji ab...
aaja milke dekhe,
kehne de kehta jo jag...

hum hain tumhaare, aur tum ho ab humaare;
hain aasma ki chaadar, uske neeche hum haare;
hum haare, bicchdhe taare...
sindoori...rang ke sahaare...

paaya hain tujhko aise,
saagaron mein milta moti...
logo ki sunanaa na tu,
aadat buri inki hain hoti...
dekh! laaya hain chandaa raina,
jagmag taaron ka saath...
hain humko sulaane tu chal,
thaamle tu mera haath...

hum hain tumhaare, aur tum ho ab humaare;
hain aasma ki chaadar, uske neeche hum haare;
hum haare, bicchdhe taare...
sindoori...rang ke sahaare...

naina kyu chhipte tujhse,
khelein ye aankh micholi...
ghee ke deeep jalaake,
kyu rango se khelein holi...
maati jo hain ye peeli,
usmein kyu machle hulchul...
peela to sona bhi hain,
dhoondhe phir kyu taamba peetal...

hum hain tumhaare, aur tum ho ab humaare;
hain aasma ki chaadar, uske neeche hum haare;
hum haare, bicchdhe taare...
sindoori...rang ke sahaare...



Saturday 24 August 2013

Aavo ji...aavo ji mann aangan


ठिठरिया णु बाजे पैजनिया,
प्रीतम आवो नी इण बरखा ... 
सैया ! सतावो ना ,ना सतावो इण जिया ने ,
 प्रीतम आवो नी इण बरखा ... 

 नीले गीले से मौसम के आशियाने में,
खोने मिलने में मज़ें हैं आने वाले रे… 
हौले हौले से हो जाएँगे तुम्हारे हम,
जो हैं होने लगे,
लगने मिलने गले हैं क्यों… क्यों ये सितम ?

घड़ियों के सुओ ने हैं क्यों,ये रुख मोड़ लिए ?
चन्दा ने सूरज से हैं क्यों,ये पल जोड़ लिए ? 

छलके सावन के बदली से प्यारी बूँदें,
गोते लग जाने दे,दरिया में मिलेंगे ... 
धीरे धीरे से आओगे जब तुम,
लगा दूंगा कजला ,
कजला तेरे कानो के पीछे…पीछे से गुमसुम  

पंछियों ने सभी सरहदों को,ऐसे ही पार हैं लिए,
मैंने तुझको चुना हैं,तू चुनले मुझे… 

ठिठरिया णु बाजे पैजनिया,
प्रीतम आवो नी इण बरखा ... 
सैया ! सतावो ना ,ना सतावो इण जिया ने ,
 प्रीतम आवो नी इण बरखा ...