चार दिनों का फासला नाप लिया हैं मैंने,
गर्मी के इस सूरज को ताप लिया हैं मैने…
चार दिनों का फासला नाप लिया हैं मैंने,
गर्मी के इस सूरज को ताप लिया हैं मैने।
मैंने तुमसे वफ़ाएं की हैं और तुमसे किया हैं प्यार,
मैंने तुमसे बलाये ली हैं,की तुमसे निगाहें चार।
मैं खोने लगा हूँ …
मैं खोने लगा हूँ,बाहों में तेरी सोने लगा हूँ ।
शैतानी भी रग रग में अपने बसाने लगा हूँ ।
सुन सुन आहट भरी ये बातें,
और राहत बगैर रातें …
अरे …
आहट भरी ये बातें और राहत बगैर रातें,
टिप टिप के जो आती,वो बदरी वो बरसातें ।
तुम चले हो उसमें भीगते ,मैं हूँ भीगी झंकार ।
जो मैं हवा बन जाऊँ तो तुम पंछी पंख पसार।
मैं उड़ने लगा हूँ …
मैं उड़ने लगा हूँ,बाहों में तेरी जुड़ने लगा हूँ ।
मनमानी की राहों से अब मैं मुड़ने लगा हूँ ।
टक टक देखें हैं वो परियाँ ,
वो तारागण कि तरियाँ…
अरे …
देखें हैं वो परियाँ ,वो तारागण कि तरियाँ,
वो मुझमें घुसा हैं डाले,लोहे कि सरिया ।
मैं रंगूँ उसमें लाल लाल,ज़रा दर्द तो तू भी उभार ।
मैं काटा तब ले जाऊंगी ,जब चाहों फूलों का भण्डार ।
मैं रंगने लगा हूँ …
मैं रंगने लगा हूँ,तेरे खून- ऐ -लाल में मरने लगा हूँ ।
बर्बादी के डर से मैं तो अब डरने लगा हूँ ।
जल जल अंगारों का कोयला ,
आके मुझसे मिलना …
अरे …
अंगारों का कोयला,आके मुझसे मिलना ।
जो मैं कलियाँ बन जाऊँ तो तुम फूलों का हो खिलना ।
मैं अपना बदन छिपाऊँगी जब हम दो करेंगे प्यार ।
मैं नौकर तब बन जाऊँगी जब तुम बोलो सरकार ।
मैं लिखने लगा हूँ …
मैं लिखने लगा हूँ,दिल में तेरे टिकने लगा हूँ ।
नादानी भरे धड़कन से मैं लिपटने लगा हूँ ।